इस मामले में दोषी पाया गया अपोलो अस्पताल, भरना होगा भारी-भरकम जुर्माना
सेहतराग टीम
दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने 2007 में लापरवाही से 24 वर्षीय एक महिला की मौत के मामले में दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को दोषी ठहराया है। आयोग ने इस मामले में अस्पताल को निर्देश दिया है कि युवती के पिता को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे। आयोग ने कहा है कि अस्पतालों के लिए मानवीय संवेदना ‘आवश्यक’ है और उनका ‘कर्तव्य’ भी।
आयोग ने कहा कि अस्पतालों को इस मानवीय संवेदना को अपने दैनिक कामकाज में लागू करने की जरूरत है।
पीठ ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल को निर्देश दिया कि वह दिल्ली निवासी राज करन सिंह को अस्पताल की लापरवाही की वजह से हुई मानसिक पीड़ा और व्यथा के लिए मुआवजा दे।
आयोग ने कहा कि मुआवजा अस्पतालों के रवैये में गुणात्मक बदलाव ला सकता है और तब हो सकता है कि वह ‘इंसानों को इंसानों की तरह’ सेवा उपलब्ध कराएं।
सिंह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक उनकी बेटी 2005 में अस्पताल में डायलसिस पर थी और एक अस्वास्थ्यकर डायलेटर के इस्तेमाल के कारण उसकी सेहत बिगड़ती चली गई और बाद में वह कोमा में चली गई।
आरोप है कि कोमा में जाने के बाद सिंह की बेटी 47 दिनों तक आईसीयू में रही और वहां भी वह बार-बार अस्पताल कर्मियों और डॉक्टरों की लापरवाही का शिकार हुई और आखिरकार 2007 में उसकी मौत हो गई।
जिला उपभोक्ता मंच द्वारा 2012 में दिए गए एक लाख रुपये के मुआवजे से सिंह संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने इसे राज्य आयोग में चुनौती दी।
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